#मृदा प्रदूषण के कारण
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मृदा प्रदूषण क्या है? मृदा प्रदूषण के कारण और उपाय
मृदा प्रदूषण प्रस्तावना :- भूमि या भू एक व्यापक शब्द है जिसमें पृथ्वी की पूरी सतह शामिल है, लेकिन मूल रूप से भूमि की ऊपरी परत, जिस पर कृषि की जाती है और मनुष्य आजीविका कमाने के विभिन्न कार्य करते हैं, का विशेष महत्व है। यह परत या भूमि विभिन्न प्रकार की चट्टानों से बनी है, जिनके अपरदन से मिट्टी का जन्म होता है। जिसमें विभिन्न कार्बनिक और अकार्बनिक यौगिकों का मिश्रण होता है। जब मानवीय और प्राकृतिक…
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कृषि उत्पादों का गुणवत्ता युक्त होना आवश्यक: प्रो. चंद्र कुमार
कृषि मंत्री प्रो. चंद्र कुमार ने केरल राज्य के तिरूवंतपुरम में ‘कृषि में आय अर्जन के लिए मूल्यवर्धन’ (वैगा-2023) विषय पर आयोजित कार्यक्रम को संबोधित किया। उन्होंने कहा कि मूल्यवर्धन विभिन्न गतिविधियों की एक श्रृंखला है जो एक उत्पाद को खेत से उपभोक्ता तक लाने में शामिल होती है। इसमें उत्पादन, प्रसंस्करण, विपणन और वितरण जैसी गतिविधियां शामिल हैं। उन्होंने कहा कि एक मूल्य श्रृंखला विकसित करके, हम यह सुनिश्चित कर सकते हैं कि किसानों को उनके उत्पादों के उचित दाम मिलें और उपभोक्ताओं की उच्च गुणवत्ता वाले, स्थानीय रूप से उगाए खाद्य पदार्थों तक पहुंच सुनिश्चित हो सके। उन्होंने कहा कि हिमाचल प्रदेश सरकार ने कृषि क्षेत्र में मूल्यवर्धन को बढ़ावा देने के लिए खाद्य प्रसंस्करण इकाइयों की स्थापना, विभिन्न योजनाओं के माध्यम से किसानों और उद्यमियों को वित्तीय सहायता और प्रशिक्षण प्रदान करके ग्रेडिंग और पैकिंग सुविधाएं प्रदान करने के लिए कई पहल की हैं। कृषि मंत्री ने कहा कि हिमाचल प्रदेश अनुकूल जलवायु, समृद्ध मृदा और प्रचुर प्राकृतिक संसाधनों से परिपूर्ण है। प्रदेश में अनाज, बेमौसमी सब्जियां, फल, दालें, बाजरा और विदेशी सब्जियों सहित विभिन्न प्रकार की फसलों के उत्पादन के लिए एक उपयुक्त परिवेश विद्यमान है। राज्य देश में सेब और अन्य समशीतोष्ण फलों जैसे खुमानी, चेरी, आड़ू, नाशपाती के प्रमुख उत्पादकों में से एक है और इन समशीतोष्ण फलों विशेष रूप से सेब और अन्य बेमौसमी सब्जियों, टमाटर, लहसुन और अदरक के उत्पादन के कारण राष्ट्रीय बाजार में एक विशेष स्थान रखता है। हिमाचल प्रदेश मशरूम के उत्पादन के लिए भी जाना जाता है। कृषि मंत्री ने कहा कि प्रदेश, कांगड़ा घाटी में उगाई जाने वाली ‘कांगड़ा ��ाय’ के लिए भी प्रसिद्ध है। कांगड़ा चाय अपने एंटीऑक्सीडेंट गुणों और बेहतरीन स्वाद के लिए दुनिया भर में लोकप्रिय है। यह वर्ष 2005 से भौगोलिक संकेतकों की प्रतिष्ठित सूची में भी शामिल है। प्रदेश में मक्का की खेती व्यापक रूप से की जाती है। हिमाचल प्रदेश बेमौसमी सब्जियों के उत्पादन के लिए भी जाना जाता है। यहां विशेष रूप से टमाटर, लहसुन, अदरक, बाजरा, दालें, मिर्च, शिमला मिर्च, बीन्स, खीरे और लगभग सभी प्रकार की सब्जियां भी उगाई जाती हैं। राज्य में लगभग 18.50 लाख मीट्रिक टन सब्जियों का उत्पादन होता है। उन्होंने कहा कि हिमाचल प्रदेश ने लागत कम करने, मिट्टी के स्वास्थ्य में सुधार, पर्यावरण प्रदूषण को कम करने और उपभोक्ताओं के लिए रसायन मुक्त स्वस्थ खाद्यान्नों का उत्पादन करने के लिए वर्ष 2018 से प्राकृतिक खेती की पहल की। वर्तमान में 9.97 लाख किसानों में से लगभग 1.5 लाख किसानों ने लगभग 16684 हेक्टेयर क्षेत्र में प्राकृतिक खेती शुरू कर दी है और इसके उत्साहजनक परिणाम मिल रहे हैं। उन्होंने कहा कि हम जैविक खेती को भी बड़े पैमाने पर बढ़ावा दे रहे हैं। उन्होंने कहा कि प्रदेश सरकार, राज्य में उगाई जाने वाली विभिन्न फसलों की क्षमता का पूरी तरह से उपयोग करने के लिए राज्य को ग्रेडिंग, प्रसंस्करण, पैकेजिंग, आदर्श भंडारण और कोल्ड स्टोरेज जैसी सुविधाओ�� के माध्यम से इन फसलों की गुणवत्ता स्वाद और पोषण मूल्य को बढ़ाकर मूल्यवर्धन पर ध्यान केन्द्रित कर रही है। उन्होंने कहा कि शीघ्र खराब होने वाली उपज के लिए प्रशीतित वैन, आपूर्ति श्रृंखला और विपणन को मजबूत करने पर भी बल दिया जा रहा है। केरल के मुख्यमंत्री पिनाराई विजयन, सिक्किम के कृषि मंत्री लोक नाथ शर्मा, अरुणाचल प्रदेश के कृषि मंत्री तागे ताकी और देश के विभिन्न राज्यों के नेताओं ने भी कार्यक्रम में अपने विचार साझा किए। Read the full article
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पर्यावरण
पर्यावरण
पर्यावरण का शाब्दिक अर्थ होता है ‘पर्या’ जो हमारे चारो और है और ‘आवरण’ का अर्थ ‘लबादा’ या जो हमें चारो ओर से घेरे हुए है। इस प्रकार पर्यावरण का सरल शाब्दिक अर्थ हुआ ‘चारो ओर से घेरने वाला’ बाद में इसके मूल स्वरूप में परिवर्तन के बाद पर्यावरण का सामान्य अर्थ हवा, पानी, भूमि, पेड़, पौधे से लगाया जाने लगा। अतः हमारे चारो और सभी वस्तुएं पाई जाती है जैसे हवा, पानी, भूमि, पेड़ पौधे तथा जीव जंतु एवं अन्य सभी वस्तुएं हमारा पर्यावरण बनाती है। जब से मनुष्य का जन्म हुआ है। वह इसी पर्यावरण में रहता आया है।इसलिए इससे हमारा बहुत पुराना सम्बन्ध है। पर्यावरण के कारण ही मनुष्य तथा अन्य जीवो का जीना संभव है इसके बिना हम जीवन की कल्पना भी नहीं कर सकते यदि पर्यावरण के विरुद्ध कोई भी अनुचित क्रिया होती है तो वह अपनी प्रतिक्रिया अवश्य दिखाता है। आज़ादी के बाद भारत में औधोगिकीकरण का दौर आया। विभिन्न क्षेत्रो में नए-नए उधोगो की स्थापना होने लगी। अब विज्ञानं प्रोधोगिकी और सभ्यता के विकास के युग में इतना बदल गया है कि वह उसे मात्र दोहन का स्त्रोत समझने लगा है। उपभोक्ता संस्कृति के तहत प्रकृति के संसाधनों का इतना दोहन होने लगा है कि जनस���ख्या की वृद्धि के साथप्रकृतिक ��ंसाधन समाप्त होते जा रहे है। और प्रदूषण बढ़ता जा रहा है। प्रदूषण आज विश्व्यापी समस्या बन चुकी है। भारत सहित विकासशील देशो में यह समस्या विशेष रूप से खतरनाक रूप लेती जा रही है। जिससे आज के युग को यदि हम प्रदूषण युग कहे तो बेहतर होगा। पर्यावरण प्रदूषण एक ऐसी समस्या है जिससे मानव सहित जैव जगत के लिए जीवन की कठिनाई बढ़ती जा रही है। पर्यावरण तत्वों में गुणात्मक हास के कारण जीवनदायी तत्व जैसे वायु, जल, वनस्पति, मृदा, आदि के गुण नष्ट होते जा रहे है। इस स्थिति को ही 'पर्यावरण प्रदूषण' कहते है। पर्यावरण पर प्रदूषण का प्रभाव प्रत्यक्ष तथा अप्रत्यक्ष रूप से पड़ता है। वायु जल ध्वनिआदि प्रत्यक्ष प्रदूषण का प्रभाव है। मृदा वनस्पति जैसे प्रदूषण अप्रत्यक्ष प्रदूषण का प्रभाव है। औधोगिक विकास के कारण आज सबसे अधिक प्रदूषण वायु प्रदूषण में पाया जाता है।
वायु जीवनदायी तत्व है। शुद्ध वायु स्वस्थ्य जीवन का आधार है। पानी और भोजन के बिना व्यक्ति कई दिन तक जीवित रह सकता है। परन्तु वायु के बिना यह मुश्किल से कुछ ही मिनट तक जीवित बच सकता है। एक व्यक्ति प्रतिदिन औसतन 22 हज़ार बार सांस लेता है तथा शुद्ध वायु का प्रयोगकरता है। जिससे ऑक्सीजन रुधिर संचार को बनाये रखता है। अन्य प्राणी और पौधे भी वायु का उपयोग करते है। वायु की रचना में विविध प्रकार की जैसे, जलवाष्य और धूल का कण अनुपात निश्चित होता है। संतुलित अनुपात युक्त वायु को शुद्ध अनुपात कहा जाता है। लेकिन वायु में अधिक मात्रा में धुंआ धूल विषैली गैस वायु में धूल घुल जाती है। तो उसे वायु प्रदूषण कहते है। वायु को प्रकति का अनुपम तोहफा कहा जाता सकता है। परन्तु प्रकृति की इस अनुपम भेंट को मानव द्वारा लगातार प्रदूषित किया जा रहा है।
औधोगिक, मोटर कार वाहनों, घरो में जलने वाले इंधनो ताप बिजली घरो कारखानों और फैक्ट्रियों की प्रदूषित पदार्थो कोउगलती चिमनियों, युद्ध की सामग्री बम बारूदों आदि से मानव ने वायुमंडल को बुरी तरह प्रदूषित कर डाला है। वातावरण में बढ़ते कार्बनडाईऑक्साइड से दुनिया के मौसम में भयंकर परिवर्तन आने प्रारम्भ हो चुके है। जीवन की रक्षा में एक मात्र सक्षम सूर्य की अल्टावायोटिक किरणों को रोकने वाली छतरी ओजोन परत फटती चली जा रही है। इसके कारण पृथ्वी पर जीवन के लिए खतरा उत्पन्न हो गया है। वायु प्रदूषण के कारण जहरीली गैसों के अवयवों से धुंआ धुंधलापन अदि से लोगो के स्वास्थ्य पर ही घातक असर पड़ रहा है। बल्कि फसलों वनस्पतियों, साग, सब्जियों, इमारतों, पुरातन धरोहरो आदि पर भयंकर दुष्प्रभाव नज़र आने लगे है।वायुप्रदूषण का भारत के अनेकों शहरों से सल्फर��ाई ऑक्साइड और पर्टिकुलर मैटर की मात्रा विश्व स्वास्थ्य संगठन द्वारा अनुमोदित सुरक्षित स्तर को पार कर बहुत आगे निकल चुकी है। शहरों की 90 प्रतिशत से अधिक जनता सांस की बिमारियों से पीड़ित है। अंग्रेजी में शब्द स्मॉक, दो शब्दों ‘धुए और फॉग’ से मिलकर बना हुआ है। जिसे आम भाषा में धुआँसा या धूम कोहरा भी कहा जाता है। यह वायु प्रदूषण की भयावह स्थिति है। इसमें क्लोरो फ्लोरो कार्बन से लेकर सल्फर डाईऑक्साइड कार्बन, मोनोऑक्साइड, अति सूक्ष्म पीएम 2.5 तथा पीएम 10 कण लैंड क्लोरीन आर्सेनिक, हाइड्रोजन, सल्फाइड, नाइट्रसऑक्साइड इत्यादि मिलकर हवा या वायुमंडल को विषाक्त बना देते है।
इसी तरह ताप बिजली घरो से प्रमुखतया फ्लाई ऐश (राख) कालिख और सल्फर डाई ऑक्साइड आदि तत्व व अन्य जैसे बहुत मात्रा में पाई जाती है। फ्लाई ऐश के कारण सास की बीमारियां और तपेदिक बीमारियां होती है। हाइड्रोकार्बन और नाइट्रोजन ऑक्साइड फोटोकेमिकल प्रतिक्रिया के द्वारा मंद हवा में कोहरे का निर्माण करते है। जिससे वायुमंडल से धुंधलापन बढ़ जाता है। और आँखों में जलन पैदा करता है। घरेलु प्रदूषण भी भारत देश में बुरी तरह वातावरण कोप्रभावित कर रहा है। घरो के भीतर जलावन, कोयला चूल्हा, भूसी, आदि जलाने से भी वायु बुरी तरह प्रदूषित हो रही है। विशेषकर घरो में घरेलु महिलाओं पर इसका प्रभाव देखने में आया है। भारत के उत्तर व मध्य भारतीय शहरों में पिछले दशकों में प्रदूषण का स्तर बेहद खतरनाक स्तर तक पहुँच गया है। अगर स्थिति इसी तरह जारी रही तो अगले कुछ वर्षो में उत्तर भारत के कई बड़े शहर रहने के लायक भी नहीं रहेंगे। विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) की रिपोर्ट काफी चौकाने वाली है, रिपोर्ट में वर्ष 2008 से 2017 के बीच 100 देशो के 4000 शहरों में वायु प्रदूषण का ब्योरा पेश किया गया है। इसमें दिल्ली, लखनऊ, कानपुर, इलाहाबाद, लुधियाना, रायपुर, आदि शहरों को दुनिया के सर्वाधिक प्रदूषित शहरों में शामिल किया है। खुद केंद्र सरकार की ‘राष्ट्रीय हरित न्यायधिकरण (NGT)’ तथा ‘केंद्रीय प्रदूषण नियन्त्र बोर्ड’ (CPCB) जैसे एजेन्सिया स्थिति के प्रति अपनी कई रिपोर्ट पेश कर चुकी है। मगर हालत में सुधार होते नहीं दिख रहे है।
आज के युग में वायु प्रदूषण एक बहुत ही महत्वपूर्ण मुद्दा बन चूका है। इन परिस्थितियों को देखते हुए वर्तमान पर्यावरण के स्वरूप को देखते हुए आवश्यक हो गया है कि अब पर्यावरण की उपेक्षा न की जाए। अतः वायु प्रदूषण को रोकने के लिए जन जन तक पर्यावरण शिक्षा का विकास करना तथा लोगो ��ें पर्यावरण की चेतना जाग्रत कर उन ��र्यावरण संरक्षण के लिए प्रेरित करने की जरुरत है। और वायुमंडल में शुद्धता व गुणवत्ता बढ़ने के लिए विकल्प सुझाने होंगे तथा कार्यक्रम चलाने होंगे। और पालन के लिए कानून बनाने होंगे।
लखनऊ, कानपुर, इलाहाबाद, लुधियाना, रायपुर, आदि शहरों को दुनिया के सर्वाधिक प्रदूषित शहरों में शामिल किया है। खुद केंद्र सरकार की ‘राष्ट्रीय हरित न्यायधिकरण (NGT)’ तथा ‘केंद्रीय प्रदूषण नियन्त्र बोर्ड’ (CPCB) जैसे एजेन्सिया स्थिति के प्रति अपनी कई रिपोर्ट पेश कर चुकी है। मगर हालत में सुधार होते नहीं दिख रहे है।
आज के युग में वायु प्रदूषण एक बहुत ही महत्वपूर्ण मुद्दा बन चूका है। इन परिस्थितियों को देखते हुए वर्तमान पर्यावरण के स्वरूप को देखते हुए आवश्यक हो गया है कि अब पर्यावरण की उपेक्षा न की जाए। अतः वायु प्रदूषण को रोकने के लिए जन जन तक पर्यावरण शिक्षा का विकास करना तथा लोगो में पर्यावरण की चेतना जाग्रत कर उन पर्यावरण संरक्षण के लिए प्रेरित करने की जरुरत है। और वायुमंडल में शुद्धता व गुणवत्ता बढ़ने के लिए विकल्प सुझाने होंगे तथा कार्यक्रम चलाने होंगे। और पालन के लिए कानून बनाने होंगे।
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Pollution in Hindi | Pradushan Kya hai | प्रदुषण क्या है?: इसका हमारे पर्यावरण पर क्या प्रभाव पड़ता है।
प्रदूषण किसे कहते हैं? (Pollution in Hindi)
Essay on pollution in hindi प्रदूषण का अर्थ हमारे पर्यावरण (Environment) में दूषित पदार्थों के प्रवेश के कारण प्राकृतिक संतुलन में पैदा होने वाले दोष को कहते हैं। प्रदुषण के प्रकार है जैसे - जल, वायु, मृदा, ध्वनि, आदि
प्रदूषण के कारण लोगों का जीना बहुत ही मुश्किल हो रहा है। अनेकों ऐसी बीमारियों का जन्म हो रहा है जिनसे इंसानों की रोग प्रतिरोधक क्षमता उस रोग से लड़ने में नाकाम है।
इंसानों द्वारा किए जा रहे विकास कार्य जैसे भवन का निर्माण, यातायात और जरूरी सुख सुविधाओं के लिए पेड़ों को काटना। और कूड़े कचरों का अंबार लगता जा रहा है जिसका निपटारा करना नामुमकिन सा हो चुका है।
Read more pls visit our website www.trandyreporter.in
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Thermocol एक ऐसा पदार्थ है जिसके कारण जल, मृदा और वायु तीनों प्रकार के प्रदूषण इससे होते है और साथ ही यह मानव जीवन के लिए भी हानिकारक है। #thermocol #plastic #cleanindiamission #leaforna #bkimpex #samp_group (at Leaforna - Serving Nature) https://www.instagram.com/p/B2a-5w7JQtD/?igshid=utmqzputvc5y
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Chemistry Quiz For SSC CGL , Bank Exam 2020-21 in Hindi/English
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Chemistry Quiz For SSC CGL , Bank Exam 2020-21 in Hindi/English
Those chemical substances which have a bitter taste and turn litmus paper blue are: Bases
Those chemical substances which have a sour or tart taste and turn litmus paper red are: Acid
Consider the following statements:
In the periodic table of Mendeleev, the vertical column is called the group and horizontal rows are called the period.
the atomic number of oxygen is 8.
Which of the statements given above is/are correct? Both 1 and 2
Consider the following statements:
Azo dye is used to color the wool, silk nylon, etc.
The effect of the Azo Dye has no effect on the cotton fabrics.
Which of the statements given above is/are correct? Both 1 and 2
Which of the following is used as a moderator in the atomic reactor? Graphite
Which one of the following has the highest fuel value –Hydrogen
Which one of the following fuels causes minimum environmental pollution?Hydrogen
Born-Haber cycle is used to determine-Lattice energy
Consider the following statements:
In the Haber’s process of synthesis of NH3 Iron acts as a catalyst and Molybdenum as a promoter.
Tetra Ethyl Lead minimize the knocking effect when mixed with petrol, it acts as a positive catalyst.
Which of the statements given above is/are correct?1 only
The first element of rare earth metal is-Cerium
जिनमें कसैला स्वाद होता है तथा लिटमस पेपर को नीला कर देते है,उन रासायनिक पदार्थों को कहते है-क्षार
वे रासायनिक पदार्थ जिनमें खट्टा या तीखा स्वाद होता है और लिटमस पेपर को लाल कर देते है:अम्ल
निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजियेः
मेंडलीफ की आवर्त सारणी में ऊर्ध्व स्तंभ को समूह तथा क्षैतिज पंक्तियों को आवर्त कहते हैं।
ऑक्सीजन का परमाणु क्रमांक8 है।
उपर्युक्त कथनों में से कौन-सा/से सही है/हैं?1 और 2 दोनों
निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजियेः
ऊन, सिल्क नायलाँन इत्यादि को रंगने में एजोडाई(Azo dye) का उपयोग किया जाता है।
एजोडाई(Azo dye) का प्रभाव काँटन वस्त्रों पर इनका कोई प्रभाव नहीं होता है।
उपर्युक्त कथनों में से कौन-सा/से सही है/हैं?1 और 2 दोनों
परमाणु रिएक्टर में निम्नलिखित में से किसका उपयोग मंदक के रूप में किया जाता है?ग्रेफाइट
निम्नलिखित में से किसका ईंधन मूल्य सबसे उच्चतम है –हाइड्रोजन
7.निम्नलिखित में से कौन सा ईंधन न्यूनतम पर्यावरणीय प्रदूषण का कारण बनता है?हाइड्रोजन
बोर्न-हेबर चक्र का उपयोग किसके निर्धारण के लिए किया जाता है-लैटिस ऊर्जा
निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजियेः
हैबर प्रक्रिया द्वारा NH3 के संश्लेषण में आयरन एक उत्प्रेरक के रूप में तथा मोलिब्डेनम एक प्रमोटर के रूप में कार्य करता है।
टेट्राएथिललैडपेट्रोल के साथ मिश्रित होने पर नोकिंग प्रभाव को कम करता है, यह एक धनात्मक उत्प्रेरक के रूप में कार्य करता है।
उपर्युक्त कथनों में से कौन-सा/से सही है/हैं?केवल 1
दुर्लभ मृदा धातु का पहला तत्व है-सीरियम
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150 Biology Single Liner Questions HSSC-HTET-CTET-REET-UPTET
150 Biology Single Liner Questions HSSC-HTET-CTET-REET-UPTET
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Download 150 Biology Single Liner Questions HSSC-HTET-CTET-REET-UPTET PDF. मानव में गुर्दे का रोग किसके प्रदूषण से होता है? - कैडमियम बी.सी.जी. का टीका निम्न में से किस बीमारी से बचाव के लिए लगाया जाता है? - क्षय रोग प्रकाश संश्लेषण के दौरान पैदा होने वाली ऑक्सीजन का स्रोत क्या है? - जल पौधे का कौन-सा भाग श्वसन क्रिया करता है? - पत्ती कच्चे फलों को कृत्रिम रूप से पकाने के लिए किस गैस का प्रयोग किया जाता है? - एसिटिलीन नाइट्रोजन के स्थिरीकरण में निम्न में से कौन-सी फ़सल सहायक है? - फली निम्नलिखित में से कौन-सी बीमारी जीवाणुओं के द्वारा होती है? - कुष्ठ सूक्ष्म जीवाणुओं युक्त पदार्थ का शीतिकरण एक प्रक्रिया है, जिसका कार्य है -जीवाणुओं को निष्क्रिय करना दूध के दही के रूप में जमने का कारण है - लैक्टोबैसिलस वृक्षों की छालों पर उगने वाले कवकों को क्या कहते हैं? - कार्टीकोल्स मानव शरीर में सबसे अधिक मात्रा में कौन-सा तत्व पाया जाता है? - ऑक्सीजन किस प्रकार के ऊतक शरीर के सुरक्षा कवच का कार्य करते हैं? - एपिथीलियम ऊतक हल्दी के पौधे का खाने योग्य हिस्सा कौन-सा है? - प्रकन्द निम्नलिखित में से कौन-सा रूपांतरिक तना है? - आलू मानव शरीर में यूरिया सबसे अधिक किसमें होता है? - मूत्र में भोजन का ऊर्जा में परिवर्तन कोशिका क��� किस भाग में होता है? – माइटोकॉन्ड्रिया रतौंधी किस विटामिन की कमी से होती है? विटामिन A कवक और शैवाल के परस्पर सम्बन्ध से एक नया पादप वर्ग बनता है वह है - लाइकेन बीजों के अंकुरण के लिए सामान्यतः किसकी आवश्यकता नहीं होती है? - प्रकाश शरीर में किसकी अधिकता से हृदयघात होता है? - कोलेस्ट्रॉल एट्रोपा बेलाडोना के किस भाग से 'बेलाडोना' औषधि प्राप्त की जाती है? - पत्तियों से एफेड्रा पौधे का कौन-सा भाग 'एफेड्रिन' औषधि उत्पन्न करता है? - तना पुष्प की सुखाई गयी कलियों का प्रयोग मसाले के रूप में किया जाता है। - लौंग में फूलगोभी के पौधे का कौन-सा भाग खाया जाता है? - पुष्पक्रम हल्दी चूर्ण टर्मेरिक पौधे के किस भाग से प्राप्त होता है? - शुष्क प्रकन्द से सामान्य प्रयोग में आनेवाला मसाला लौंग कहां से प्राप्त होता है? - फूल की कली से किस फसल में एजोला एनाबीना जैव उर्वरक का प्रयोग किया जाता है? - चावल चिलगोजा निम्न में से किस एक प्रजाति के बीच से प्राप्त होता है? - पाइन पौधों की वृद्धि के लिए कितने आवश्यक तत्वों की जरुरत होती है? - 16 धान का खैरा रोग या लघुपत रोग किस तत्व की कमी से होता है? - जस्ता फूलगोभी का विटेल रोग किस तत्व की कमी से होता है? - Mo ऊर्जा रूपन्तरणों में से किसके द्वारा प्रकाश संश्लेषा की क्रिया सम्पादित होती है? - प्रकाश से रासायनिक ऊर्जा प्रकाश संश्लेषण में हरे पौधों द्वारा कौन-सी गैस छोड़ी जाती है? - ऑक्सीजन किस पादप हार्मोन के छिड़काव से अनिषेक फल प्राप्त किये जा सकते हैं? - ऑक्सिन प्रकाशानुवर्ती संचलन किसके द्वारा नियंत्रित किया जाता है? - ऑक्सिन पादप वृद्धि अनुमापन के साथ किस भारतीय वैज्ञानिक का नाम जुड़ा है? - जे. सी. बोस किस पेड़ को अपनी वृद्धि के लिए सर्वाधिक मात्रा में जल की आवश्यकता होती है? - यूक्लिप्टस पेड़ों की पत्तियों में पाया जाने वाला हरा पदार्थ क्या कहलाता है? - क्लोरोफिल पादप रोगों का सबसे उत्तरदायी कारक कौन है? - फफूदी हरित बाली रोग किस फलस से सम्बन्धित है? - बाजरा टिक्का रोग किस फसल से सम्बन्धित है? - मूंगफली धान का प्रसिद्ध रोग ‘खैरा रोग' किसके कारण होता है? - जस्ता की कमी के कारण चाय में लाल रस्ट रोग किसके कारण होता है? - हरे शैवाल फसलों पर आक्रमण करने की कीट की प्रायः कौन-सी अवस्था अधिक हानि पहुँचाती है? - केटरपिलर कौन-सा जीवित ऊतक उच्चवर्गीय पौधों में जैव पोषक वाहक का कार्य करता है? - फ्लोएम पादपों में जल तथा खनिज लवणों का संचालन किसके द्वारा होता है? - जाइलम एक वृक्ष की आयु का पता किसके द्वारा लगाया जा सक���ा है? - वार्षिक वलयों की गिनती करके संवहनी पौधों में पानी ऊपर किससे जाता है? - जाइलम टिशू जीन शब्द का प्रतिपादन किसने किया है? - जोहान्सन बारबैरा मैक्लिन्टॉक किस पौधे पर कार्य के लिए प्रसिद्ध हैं? - मक्का सन 1959 में कृत्रिम रूप से DNA को संश्लेषित करने हेतु नोबेल पुरस्कार किसका मिला था? - कॉर्नबर्ग किसके द्वारा आनुवंशिकता के विज्ञान को 'आनुवंशिकी' कहा गया? - वाटसन 'सेल' नाम किस जीव वैज्ञानिक ने सर्वप्रथम दिया था? - रॉबर्ट हुक कौन-सी रचना जन्तु कोशिका को वनस्पति कोशिका से विभेदित करती है? - सेण्ट्रिओल कोशिका में राइबोसोम की अनुपस्थिति में निम्न में से कौन-सा कार्य सम्पादित नहीं होगा? - प्रोटीन संश्लेषण यदि माइटोकॉण्ड्रिया काम करना बन्द कर दे तो कोशिका में कौन-सा कार्य नहीं हो पाएगा? - भोजन का ऑक्सीकरण कोशिका का ऊर्जा गृह (Power house) किसको कहा जाता है? - माइटोकॉण्ड्रिया किसकी उपस्थिति के कारण किसी पादप कोशिका और पशु कोशिका में अंतर पाया जाता है? - कोशिका भित्ति कौन-सा कोशिकांग प्रोटीन संश्लेषण में प्रमुख भूमिका निभाता है? - एण्डोप्लाज्मिक रेटिकुलम एवं राइबोसोम 'प्रोग्रॅम्ड सेल डेथ' का कोशिकीय एवं आणविक नियंत्रण क्या कहलाता है? - एजिंग कौन-सा अंगक प्रायः जन्तु कोशिका में उपस्थित नहीं होता है? - लवक जीवद्रव्य शब्द का प्रयोग सर्वप्रथम किसने किया था? - पुरकिंजे जीवद्रव्य जीवन का भौतिक आधार है' यह किसका कथन है? - हक्सले डी. एन. ए. के द्विहेलिक्स प्रारूप को पहली बार किसने प्रस्तावित किया था? - वाटसन तथा क्रिक ने न्यूक्लियस की खोज सर्वप्रथम किसने की थी? - ब्राउन कोशिकीय व आण्विक जीव विज्ञान केन्द्र कहाँ स्थित है? - हैदराबाद पारिस्थितिकी शब्द को सर्वप्रथम प्रतिपादित करने का श्रेय किसको जाता है? - रीटर को मुख्यतः मेनग्रोव वाले ज्वारीय वन कहाँ पाये जाते हैं? - सुन्दरवन डेल्टा यदि संसार के सभी पौधे मर जाएं, तो किसकी कमी के कारण सभी जन्तु मर जायेंगे? - ऑक्सीजन खाद्य श्रृंखला से अभिप्राय है, इनमें से किसके द्वारा ऊर्जा अंतरण? - एक जीव से दूसरे के पारिस्थितिक संतुलन बनाये रखने के लिए भारत में वन क्षेत्र कितन��� अनुपात में होना चाहिए? - 33.3 कौन-सा कृषि कार्य पर्यावरणीय दृष्टि से उपयुक्त है? - कार्बनिक कृषि भारत में पारिस्थितिक असंतुलन का कौन-सा एक प्रमुख कारण है? - वनोन्मूलन वह वर्णक जो वनस्पति को पराबैंगनी किरणों के दुष्प्रभाव से बचाता है, कौन-सा है? - फाइकोसायनिन पारिस्थितिक तंत्र में तत्वों के चक्रण को क्या कहते हैं? - जैव भूरासायनिक चक्र भारत में धार��ीय विकास के दृष्टिकोण से विद्युत उत्पाद का सबसे अच्छा स्रोत कौन-सा है? - जल विद्युत धारणीय विकास जिनके उपयोग के संदर्भ में अंतर-पीढीगत संवेदनशीलता का विषय है? - प्राकृतिक संसाधन एक मनुष्य के जीवन को पूर्णरूप से धारणीय करने के लिए आवश्यक न्यूनतम भूमि को क्या कहते हैं? - पारिस्थितिकीय पदछाप कौन-सी गैस पृथ्वी पर ‘हरित गृह प्रभाव में सर्वाधिक योगदान करती है? - कार्बन डाइऑक्साइड कौन-सी गैस हीमोग्लोबीन से संयोग कर रक्त में एक विषैला पदार्थ बनाती है? - CO भोपाल दुर्घटना में किस गैस का रिसाव हुआ था? - मिथाइल आइसोसायनेट किस वायु प्रदूषक के कारण मनुष्य में तंत्रिका तंत्र सम्बन्धी रोग पैदा होता है? - सीसा ऊर्जा के किस रूप में प्रदूषण की समस्या नहीं होती है? - सौर वायुमण्डल में जिस ओजोन छिद्र का पता लगाया गया है, वह कहाँ स्थित है? - अण्टार्कटिका के ऊपर प्रदूषकों के रूप में फीनोलिक्स को गंदे पानी से किसका प्रयोग करके निकाला जा सकता है? 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गोमती नदी में भारी धातुओं का स्तर चिंताजनक has been published on PRAGATI TIMES
गोमती नदी में भारी धातुओं का स्तर चिंताजनक
डॉ. शुभ्रता मिश्रा। वैज्ञानिकों का मानना है कि लखनऊ के उद्योगों और नगरपालिका से निकलने वाला उपचारित व अनुपचारित अपशिष्ट गोमती में बहाए जाने से जल की गुणवत्ता बुरी तरह प्रभावित हो रही है।
लखनऊ में गोमती नदी प्रदूषण के कारण काफी समय से सुर्खियों में बनी हुई है। अब वैज्ञानिकों ने अपने शोध से गोमती के जल में हानिकारक भारी धातुओं के होने की पुष्टि की है। पहली बार गोमती में आर्सेनिक की उपस्थिति का भी पता चला है। भारी धातुओं का मतलब ऐसी धातुओं से होता है जिनका घनत्व 5 से अधिक होता है और जिनकी अत्यधिक सूक्ष्म मात्रा का भी पर्यावरण पर खासा असर पड़ता है। इनका निर्धारित सान्द्रण सीमा से अधिक पाया जाना वनस्पतियों, जीवों एवं मानव स्वास्थ्य के लिए हानिकारक होता है। साथ ही ये जल और मृदा के धात्विक प्रदूषण का भी कारण बनती हैं। भारी धातुओं में कैडमियम, क्रोमियम, कोबाल्��, मरकरी, मैगनीज, मोलिब्डिनम, निकिल, लेड, टिन तथा जिंक शामिल हैं। बाबासाहेब भीमराव अम्बेडकर विश्वविद्यालय, लखनऊ के पर्यावरण विज्ञान विभाग, झारखंड केंद्रीय विश्वविद्यालय, रांची के पर्यावरण विज्ञान केंद्र तथा भारतीय विष विज्ञान अनुसंधान संस्थान, लखनऊ के वैज्ञानिकों ने सम्मिलित रूप से गोमती के पारिस्थितिक तंत्र में भारी धातुओं की सांद्रता का एकीकृत मूल्यांकन किया है। अभी तक गोमती के जल तथा उसकी तलहटी में बैठे तलछटों और प्राकृतिक रुप से मिलने वाले जलीय पादपों पर कोई व्यापक अध्ययन नहीं किया गया था। इस शोध के परिणाम हाल ही में वैज्ञानिक पत्रिका करेंट साइंस में प्रकाशित हुए हैं। अध्ययन के लिए लखनऊ शहर में 10 चुनिंदा स्थलों गौ घाट, कुरिया घाट, डालीगंज, शहीद स्मारक, हनुमान सेतु, बोट क्लब, लक्ष्मण मेला ग्राउंड, खाटु श्याम वाटिका, बैकुंठ धाम और गोमती बैराज से गोमती के जल, तलछट और जलीय पादपों के नमूने इकठ्ठे किए गए। वैज्ञानिकों का मानना है कि लखनऊ शहर के उद्योगों और नगरपालिका से निकलने वाला उपचारित व अनुपचारित अपशिष्ट गोमती में बहाए जाने से इसकी जल की गुणवत्ता बुरी तरह प्रभावित हो रही है। जल का पीएच 6.54 और 8.14 के बीच था। डालीगंज और हनुमान सेतु को छोड़कर सभी शोध साइटों पर जल क्षारीय पाया गया और साथ ही घुलित ऑक्सीजन भी 3.69 से 7.3 मिलीग्राम प्रति लीटर आंकी गई। ये दोनों तथ्य वैज्ञानिक दृष्टिकोण से उन जगहों पर धातुओं की जैव उपलब्धता को दर्शाते हैं। दस साइटों में से गोमती बैराज में सभी भारी धातुओं की सांद्रता अधिकतम पाई गई। मौजूदा परिणामों की तुलना पहले के अध्ययनों से की गई, तो यह पाया गया कि गोमती नदी के पानी में तांबा, कैडमियम और लैड की सांद्रता में वृद्धि हुई है। गोमती के तलछटों में भारी धातु के विश्लेषण दर्शाते हैं कि लगभग सभी साइटों पर भारी धातुओं की सांद्रता उच्चतम है। तलछट में मिली धातुओं की सांद्रता नदी के पानी में मिली धातुओं की तुलना में काफी अधिक है। तलछटी में मिली धातुओं की उच्च सांद्रता भविष्य में धातु-विषाक्तता के कारण नदी के तलीय जीवों के लिए भारी जोखिमभरा साबित हो सकती है। वैज्ञानिकों ने इन दसों साइटों पर नदी में मिलने वाले चार जलीय मैक्रोफॉइटों यानि पानी में उगने वाले बृहत् जलीय पादपों पिस्टिया स्ट्रेटिओट्स, आइकॉर्निया क्रैसीपीस, पॉलीगोनम कोसीनिअम और मार्सिलिया क्वाड्रिफोलिया में भारी धातुओं के जैवसंचयन अर्थात् इनके शरीर में धातुओं के जमने का भी मूल्यांकन किया। मैक्रोफाईट्स अपने शरीर के विभिन्न अंगों में विषाक्त धातुओं को जमा करने की क्षमता रखते है, जिससे उन्हें धातु प्रदूषण का एक प्रभावी जैव-सूचक माना जाता है। वैज्ञानिकों ने पाया कि पिस्टिया स्ट्रेटिओट्स व पॉलीगोनम कोसीनिअम में लैड और आइकॉर्निया क्रैसीपीस व मार्सिलिया क्वाड्रिफोलिया में तांबा सबसे अधिक मात्रा में जमा हुआ। जबकि शेष भारी धातुएं कैडमियम और आर्सेनिक का जैवसंचयन अपेक्षाकृत कम देखा गया। वास्तव में ये मैक्रोफाइट्स अन्य जलीय जीवन के लिए भोजन और आश्रय प्रदान करते हैं। भले ही अभी गोमती के पानी में विषाक्त भारी धातुओं की सांद्रता कम पाई गई हो, लेकिन मैक्रोफाइट्स में धातु-जैवसंचयन से इनके खाद्य श्रृंखला में प्रवेश करने के कारण उच्चतर पोषक स्तरों पर भारी धातुओं के हस्तांतरण की संभावना बढ़ जाती है, जो चिंताजनक है। वैज्ञानिकों ने भारी धातु प्रदूषण पर नियंत्रण बनाए रखने के लिए गोमती के जल और तलछट दोनों के दूषित स्तर पर नियमित रूप से निगरानी की आवश्यकता पर बल दिया है। इसके अलावा उनका कहना है कि गोमती के पानी का कृषि में सिंचाई के लिए उपयोग करते समय भी कड़ी देखभाल की जरुरत है। तलछट, जल और जलीय पादपों के बीच निरंतर अंतर्संबंधों पर आधारित धातु सांद्रता के एकीकृत मूल्यांकन से निकले ये आंकड़े गोमती के पारिस्थितिकी तंत्र में विषाक्त भारी धातुओं के व्यवहार को समझने और एक कुशल प्रदूषण नियंत्रण और जल संसाधन प्रबंधन कार्यक्रम तैयार करने के लिए महत्वपूर्ण साबित होंगे। अनुसंधानकर्ताओं की टीम में नेहा, धनंजय कुमार, प्रीति शुक्ला, संजीव कुमार, कुलदीप बौद्ध, जया तिवारी, नीतू द्विवेदी, एस. सी. बर्मन, डी. पी. सिंह और नरेंद्र कुमार शामिल थे। (इंडिया साइंस वायर)
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Mix General Knowledge GK Questions Download PDF for HSSC/SSC/CTET/REET. Get Mix General Knowledge GK Questions Download PDF for HSSC/SSC/CTET. We are providing Mix General Knowledge GK Questions Download PDF for HSSC/SSC/CTET/REET. Click on the URL to download Mix General Knowledge GK Questions Download PDF for HSSC/SSC/CTET/REET. Q1. आग मे कौन सा पदर्थ नही जलता है ? - एसबेस्ट्स Q2. सबसे जहरीला पदार्थ कौन से होता है ? - रेडियम Q3. किन - किन धातुओ को मिलाकर चुम्बक बनता है ? - अल्यूमिनियम व निकल Q4. कौनसी गैस हवा मे जलती है ? - कार्बन मोनिऑक्साइड Q5. वायुमण्डल मे कौनसी गैस नही है ? - क्लोरीन Q6. देश में राष्ट्रीय न्यादर्श (N.S.S.) की स्थापना कब हुई? – 1950 ई. मे Q7. किन देशों की मुद्रा प्रायः हार्ड करेन्सी होती है? – विकसित देशों की भारत में कोयले की सबसे मोटी पटल कहां पायी जाती है? – सिंगरौली में भारत में आर्थिक नियोजन कब प्रारम्भ हुए? – 1 अप्रैल, 1951 को अन्तर्राष्ट्रीय व्यापार का प्रमुख प्रहरी कौन है? – W.T.O. ‘फ्री ट्रेड टुडे’ पुस्तक के लेखक कौन हैं? – जगदीश भगवती कृषि लागत एवं मूल्य आयोग कहाँ स्थित है? – नई दिल्ली हिन्दू वृद्धि दर किससे सम्बन्धित है? – राष्ट्रीय आय से वार्षिक वित्तीय विवरण (बजट) संसद के दोनों सदनों के समक्ष किसके द्वारा पहुँचाया जाता है? – राष्ट्रपति द्वारा भारत में खाना पकाने के लिए विश्व की सबसे बड़ी और वाष्प प्रणाली कहाँ स्थापित की गई है? – माण्ट आबू कौन-सी वस्तु भारत में आयात की वस्तु नहीं है? – मूल रसायन भारत की राष्ट्रीय आय में सर्वाधिक योगदान किसका है? – विनिर्माण क्षेत्र का भारत सरकार के बजट के कुल घाटे में किस घाटे का सबसे अधिक योगदान किसका है? – राजकोषीय घाटा क्या अवमूल्यन के उद्देश्य की ओर संकेत करता है? – निर्यात प्रोत्साहन पंचवर्षीय योजना बनाने की जिम्मेदारी किसकी है? – नीति आयोग की एका��िकारी किसके आधार पर मूल्य विभेदन का आश्रय लेता है? – माँग लोच राष्ट्रीय कृषि बीमा योजना किसके द्वारा प्रायोजित है? – G.I.C. राष्ट्रीय कृषि बीमा योजना किस वर्ष लागू की गई? – 1999 - 2000 किसी वस्तु के माँग-वक्र के अनुसार गतिशीलता, किसमें आए परिवर्तन के कारण होती है? – उनके अपने मूल्य यदि धन (मुद्रा) बहुत अधिक हो और माल अथवा वस्तु बहुत कम हो तो वह स्थिति नीति होती है? – मुद्रास्फीति ऑयल (O.I.L.) एक उपक्रम है वह किसमें संलग्न है? – तेल अनुसंधान में योजना आयोग द्वारा अब तक कितनी वार्षिक योजनाएँ बनायी जा चुकी हैं? – 7 नायलॉन बनाने में प्रयुक्त कच्चा पदार्थ क्या है – एडीपिक अम्ल शुष्क धुलाई ( Dry Cleaning ) के काम आता है – बेंजीन सबसे अधिक संख्या में किस तत्व के यौगिक है – कार्बन नीली स्याही बनाने में क्या प्रयोग किया जाता है – फेरस सल्फेट किसी परमाणु के गुण निर्भर करते हैं – इलेक्ट्रॉनिक संरचना पर किस विटामिन के जलीय विलयन का रंग गुलाबी होता है – विटामिन बी12 वसा किसमें घुलनशील होती हैं – कार्बन टेट्राक्लोराइड में फ्रीआन का रासायनिक नाम क्या है – क्लोरोफ्लोरोकार्बन पंजाब के निर्माण में सबसे महत्वपूर्ण नदी कौन-सी है— सिंधु (Indus) कौन-सी दो नदियों की लंबाई लगभग समान है— सिंधु (2880 किमी) व ब्रह्मपुत्र (2900 किमी) कौन-सी नदी ‘कपिल जलधारा प्रपात’ का निर्माण करती है— नर्मदा कौन-सी नदी ‘ओड़िशा का शोक’ कही जाती है— ब्राह्मणी वैन गंगा और पैन गंगा किस की सहायक नदी हैं— गोदावरी इंडोब्रह्मा है एक….. —पौराणिक नदी नदियों को जोड़ने की योजना किसके शासन काल में प्रस्तातिव हुई— राजग सरकार सिंधु समझौते के अनुसार भारत सिन्धु नदी के कितने % जल का प्रयोग कर सकता है— 20% प्रायद्वीपीय नदियों का उत्तर से दक्षिण की ओर क्रम क्या है— महानदी, गोदावरी, कृष्णा, पेन्नार, कावेरी एवं वैगाई पंचगंगा तथा दूधगंगा किसकी सहायक नदियाँ है— कृष्णा नदी दक्षिणी भारत के पठारी प्रदेशों को कौन-सी नदी दो भागों में विभाजित करती है— नर्मदा नदी 47 शिप्रा नदी किसकी सहायक नदी है— चंबल नदी किस नदी के किनारे पर प्रसिद्ध महाकालेश्वर म��दिर है— नर्मदा नदी अरावली पर्वत श्रृंखला किस नदी प्रणाली से विभाजित होती है— चंबल एवं साबरमती राष्ट्रीय प्राकृतिक चिकित्सा संस्थान - पूणे सलीम अली पक्षी विज्ञान और प्राकृतिक इतिहास केन्द्र - कोयम्बटूर उन्नत प्रौद्योगिकी केन्द्र - पूणे परिवर्तित ऊर्जा साइक्लोट्रॉन केन्द्र - कलकत्ता गणितीय विज्ञान संस्थान - चेन्नई टाटा मूलभूत अनुसंधान संस्थान (TIFR) - मुम्बई भारतीय स्कीइंग और माउटेनियरिंग संस्थान - (गुलमर्ग) भारतीय चारागाह एवं चारा अनुसंधान संस्थान - झांसी इंडियन स्कूल ऑफ माइंस एडं एप्लाइड जियोलॉजी - धनबाद राष्ट्रीय ब्रेन (मस्तिष्क) अनुसंधान केन्द्र - गुडगांव राष्ट्रीय आयुर्वेद संस्थान - जयपुर नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ इम्यूनोलॉजी - नई दिल्ली केन्द्रीय कपास अनुसंधान संस्थान - नागपुर केन्द्रीय भारतीय भाषा संस्थान - मैसुर केन्द्रीय भेंड और ऊन अनुसंधान संस्थान - अविकानगर, टोंक (राजस्थान) ऑलइडिया इंस्टीट्युट ऑफ स्पीच एंड हियरिंग (AIISH) - मैसुर सैंट्रल इंस्टीट्युट ऑफ बर्किश वाटर एक्वा कल्चर - चैन्नई केन्द्रीय कृषि अभियांत्रिकी संस्थान - भोपाल केन्द्रीय शैक्षिक प्रौधोगिकी संस्थान - नई दिल्ली केन्द्रीय मनोरोग विज्ञान संस्थान - रांची केन्द्रीय सड़क प्रौद्योगिकी संस्थान - कोकराझार केन्द्रीय मृदा लवणता अनुसंधान संस्थान - नई दिल्ली राष्ट्रीय मस्तिष्क अनुसंधान केन्द्र - मानेसर राष्ट्रीय जलविज्ञान (हाइड्रोलोजी) संस्थान - बेलगांव, रूड़की राष्ट्रीय पावर प्रशिक्षण (ट्रेनिंग) संस्थान - फरीदाबाद राष्ट्रीय टी बी संस्थान - बंगलौर राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन संस्थान - नई दिल्ली केन्द्रीय हिन्दी संस्थान - आगरा राष्ट्रीय मसाला अनुसंधान संस्थान - कोझिकोड़ राष्ट्रीय वन प्रबंधन संस्थान - भोपाल 80.तरंग का वेग (V), आवृति (n) तथा तरंग दैर्ध्य (λ) में क्या सम्बन्ध होता है? —– v = nλ 81.सूर्य विकिरण का कौन-सा भाग सोलर कुकर को गर्म कर देता है? — अवरक्त किरण 82ऊष्मा गतिकी का प्रथम नियम किस अवधारणा की पुष्टि करता है? — ताप संरक्षण 83.दलदली भूमि से कौन-सी गैस निकलती है? — मिथेन 84.कैंसर सम्बन्धी रोगों का अध्ययन कहलाता है — –ऑरगेनोलॉजी 85. मानव शरीर में सबसे लम्बी कोशिका कौन-सी होती है? — तंत्रिका कोशिका 86.दाँत मुख्य रूप से किस पदार्थ के बने होते हैं? — डेंटाइन के 87.किस जंतु की आकृति पैर की चप्पल के समान होती है? —– पैरामीशियम 88. किण्वन का उदाहरण है — -दूध का खट्टा होना,खाने की ब्रेड का बनना,गीले आटे का खट्टा होना 89. निम्न में से कौन-सा आहार मानव शरीर में नये ऊतकों की वृद्धि के लिए पोषक तत्व प्रदान करता है? —– पनीर General Science 90.निम्न में से कौन एक उड़ने वाली छिपकली है? —– ड्रेको 91. देशी घी में से सुगन्ध क्यों आती है? — डाइएसिटिल के कारण 92. किस प्रकार के ऊतक शरीर के सुरक्षा कवच का कार्य करते हैं? — एपिथीलियम ऊतक 93. किस वैज्ञानिक ने सर्वप्रथम बर्फ़ के दो टुकड़ों को आपस में घिसकर पिघला दिया? — डेवी 94. सबसे अधिक तीव्रता की ध्वनि कौन उत्पन्न करता है? — बाघ 95. कॉफी पाउडर के साथ मिलाया जाने वाला ‘चिकोरी चूर्ण’ प्राप्त होता है —– – जड़ों से 96. धूल प्रदूषण रोकने के लिए सबसे उपयुक्त वृक्ष है — -नीम 97. निम्न में से किसके द्वारा सबसे अधिक ध्वनि प्रदूषण होता है? — हवाई जहाज़ की उड़ान भरना 98. प्रकाश छोटे-छोटे कणों से मिलकर बना है, जिसे कहते हैं? — फोटॉन Join Whats App Group
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गोमती नदी में भारी धातुओं का स्तर चिंताजनक has been published on PRAGATI TIMES
गोमती नदी में भारी धातुओं का स्तर चिंताजनक
डॉ. शुभ्रता मिश्रा। वैज्ञानिकों का मानना है कि लखनऊ के उद्योगों और नगरपालिका से निकलने वाला उपचारित व अनुपचारित अपशिष्ट गोमती में बहाए जाने से जल की गुणवत्ता बुरी तरह प्रभावित हो रही है।
लखनऊ में गोमती नदी प्रदूषण के कारण काफी समय से सुर्खियों में बनी हुई है। अब वैज्ञानिकों ने अपने शोध से गोमती के जल में हानिकारक भारी धातुओं के होने की पुष्टि की है। पहली बार गोमती में आर्सेनिक की उपस्थिति का भी पता चला है। भारी धातुओं का मतलब ऐसी धातुओं से होता है जिनका घनत्व 5 से अधिक होता है और जिनकी अत्यधिक सूक्ष्म मात्रा का भी पर्यावरण पर खासा असर पड़ता है। इनका निर्धारित सान्द्रण सीमा से अधिक पाया जाना वनस्पतियों, जीवों एवं मानव स्वास्थ्य के लिए हानिकारक होता है। साथ ही ये जल और मृदा के धात्विक प्रदूषण का भी कारण बनती हैं। भारी धातुओं में कैडमियम, क्रोमियम, कोबाल्ट, मरकरी, मैगनीज, मोलिब्डिनम, निकिल, लेड, टिन तथा जिंक शामिल हैं। बाबासाहेब भीमराव अम्बेडकर विश्वविद्यालय, लखनऊ के पर्यावरण विज्ञान विभाग, झारखंड केंद्रीय विश्वविद्यालय, रांची के पर्यावरण विज्ञान केंद्र तथा भारतीय विष विज्ञान अनुसंधान संस्थान, लखनऊ के वैज्ञानिकों ने सम्मिलित रूप से गोमती के पारिस्थितिक तंत्र में भारी धातुओं की सांद्रता का एकीकृत मूल्यांकन किया है। अभी तक गोमती के जल तथा उसकी तलहटी में बैठे तलछटों और प्राकृतिक रुप से मिलने वाले जलीय पादपों पर कोई व्यापक अध्ययन नहीं किया गया था। इस शोध के परिणाम हाल ही में वैज्ञानिक पत्रिका करेंट साइंस में प्रकाशित हुए हैं। अध्ययन के लिए लखनऊ शहर में 10 चुनिंदा स्थलों गौ घाट, कुरिया घाट, डालीगंज, शहीद स्मारक, हनुमान सेतु, बोट क्लब, लक्ष्मण मेला ग्राउंड, खाटु श्याम वाटिका, बैकुंठ धाम और गोमती बैराज से गोमती के जल, तलछट और जलीय पादपों के नमूने इकठ्ठे किए गए। वैज्ञानिकों का मानना है कि लखनऊ शहर के उद्योगों और नगरपालिका से निकलने वाला उपचारित व अनुपचारित अपशिष्ट गोमती में बहाए जाने से इसकी जल की गुणवत्ता बुरी तरह प्रभावित हो रही है। जल का पीएच 6.54 और 8.14 के बीच था। डालीगंज और हनुमान सेतु को छोड़कर सभी शोध साइटों पर जल क्षारीय पाया गया और साथ ही घुलित ऑक्सीजन भी 3.69 से 7.3 मिलीग्राम प्रति लीटर आंकी गई। ये दोनों तथ्य वैज्ञानिक दृष्टिकोण से उन जगहों पर धातुओं की जैव उपलब्धता को दर्शाते हैं। दस साइटों में से गोमती बैराज में सभी भारी धातुओं की सांद्रता अधिकतम पाई गई। मौजूदा परिणामों की तुलना पहले के अध्ययनों से की गई, तो यह पाया गया कि गोमती नदी के पानी में तांबा, कैडमियम और लैड की सांद्रता में वृद्धि हुई है। गोमती के तलछटों में भारी धातु के विश्लेषण दर्शाते हैं कि लगभग सभी साइटों पर भारी धातुओं की सांद्रता उच्चतम है। तलछट में मिली धातुओं की सांद्रता नदी के पानी में मिली धातुओं की तुलना में काफी अधिक है। तलछटी में मिली धातुओं की उच्च सांद्रता भविष्य में धातु-विषाक्तता के कारण नदी के तलीय जीवों के लिए भारी जोखिमभरा साबित हो सकती है। वैज्ञानिकों ने इन दसों साइटों पर नदी में मिलने वाले चार जलीय मैक्रोफॉइटों यानि पानी में उगने वाले बृहत् जलीय पादपों पिस्टिया स्ट्रेटिओट्स, आइकॉर्निया क्रैसीपीस, पॉलीगोनम कोसीनिअम और मार्सिलिया क्वाड्रिफोलिया में भारी धातुओं के जैवसंचयन अर्थात् इनके शरीर में धातुओं के जमने का भी मूल्यांकन किया। मैक्रोफाईट्स अपने शरीर के विभिन्न अंगों में विषाक्त धातुओं को जमा करने की क्षमता रखते है, जिससे उन्हें धातु प्रदूषण का एक प्रभावी जैव-सूचक माना जाता है। वैज्ञानिकों ने पाया कि पिस्टिया स्ट्रेटिओट्स व पॉलीगोनम कोसीनिअम में लैड और आइकॉर्निया क्रैसीपीस व मार्सिलिया क्वाड्रिफोलिया में तांबा सबसे अधिक मात्रा में जमा हुआ। जबकि शेष भारी धातुएं कैडमियम और आर्सेनिक का जैवसंचयन अपेक्षाकृत कम देखा गया। वास्तव में ये मैक्रोफाइट्स अन्य जलीय जीवन के लिए भोजन और आश्रय प्रदान करते हैं। भले ही अभी गोमती के पानी में विषाक्त भारी धातुओं की सांद्रता कम पाई गई हो, लेकिन मैक्रोफाइट्स में धातु-जैवसंचयन से इनके खाद्य श्रृंखला में प्रवेश करने के कारण उच्चतर पोषक स्तरों पर भारी धातुओं के हस्तांतरण की संभावना बढ़ जाती है, जो चिंताजनक है। वैज्ञानिकों ने भारी धातु प्रदूषण पर नियंत्रण बनाए रखने के लिए गोमती के जल और तलछट दोनों के दूषित स्तर पर नियमित रूप से निगरानी की आवश्यकता पर बल दिया है। इसके अलावा उनका कहना है कि गोमती के पानी का कृषि में सिंचाई के लिए उपयोग करते समय भी कड़ी देखभाल की जरुरत है। तलछट, जल और जलीय पादपों के बीच निरंतर अंतर्संबंधों पर आधारित धातु सांद्रता के एकीकृत मूल्यांकन से निकले ये आंकड़े गोमती के पारिस्थितिकी तंत्र में विषाक्त भारी धातुओं के व्यवहार को समझने और एक कुशल प्रदूषण नियंत्रण और जल संसाधन प्रबंधन कार्यक्रम तैयार करने के लिए महत्वपूर्ण साबित होंगे। अनुसंधानकर्ताओं की टीम में नेहा, धनंजय कुमार, प्रीति शुक्ला, संजीव कुमार, कुलदीप ���ौद्ध, जया तिवारी, नीतू द्विवेदी, एस. सी. बर्मन, डी. पी. सिंह और नरेंद्र कुमार शामिल थे। (इंडिया साइंस वायर)
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गोमती नदी में भारी धातुओं का स्तर चिंताजनक has been published on PRAGATI TIMES
गोमती नदी में भारी धातुओं का स्तर चिंताजनक
डॉ. शुभ्रता मिश्रा। वैज्ञानिकों का मानना है कि लखनऊ के उद्योगों और नगरपालिका से निकलने वाला उपचारित व अनुपचारित अपशिष्ट गोमती में बहाए जाने से जल की गुणवत्ता बुरी तरह प्रभावित हो रही है।
लखनऊ में गोमती नदी प्रदूषण के कारण काफी समय से सुर्खियों में बनी हुई है। अब वैज्ञानिकों ने अपने शोध से गोमती के जल में हानिकारक भारी धातुओं के होने की पुष्टि की है। पहली बार गोमती में आर्सेनिक की उपस्थिति का भी पता चला है। भारी धातुओं का मतलब ऐसी धातुओं से होता है जिनका घनत्व 5 से अधिक होता है और जिनकी अत्यधिक सूक्ष्म मात्रा का भी पर्यावरण पर खासा असर पड़ता है। इनका निर्धारित सान्द्रण सीमा से अधिक पाया जाना वनस्पतियों, जीवों एवं मानव स्वास्थ्य के लिए हानिकारक होता है। साथ ही ये जल और मृदा के धात्विक प्रदूषण का भी कारण बनती हैं। भारी धातुओं में कैडमियम, क्रोमियम, कोबाल्ट, मरकरी, मैगनीज, मोलिब्डिनम, निकिल, लेड, टिन तथा जिंक शामिल हैं। बाबासाहेब भीमराव अम्बेडकर विश्वविद्यालय, लखनऊ के पर्यावरण विज्ञान विभाग, झारखंड केंद्रीय विश्वविद्यालय, रांची के पर्यावरण विज्ञान केंद्र तथा भारतीय विष विज्ञान अनुसंधान संस्थान, लखनऊ के वैज्ञानिकों ने सम्मिलित रूप से गोमती के पारिस्थितिक तंत्र में भारी धातुओं की सांद्रता का एकीकृत मूल्यांकन किया है। अभी तक गोमती के जल तथा उसकी तलहटी में बैठे तलछटों और प्राकृतिक रुप से मिलने वाले जलीय पादपों पर कोई व्यापक अध्ययन नहीं किया गया था। इस शोध के परिणाम हाल ही में वैज्ञानिक पत्रिका करेंट साइंस में प्रकाशित हुए हैं। अध्ययन के लिए लखनऊ शहर में 10 चुनिंदा स्थलों गौ घाट, कुरिया घाट, डालीगंज, शहीद स्मारक, हनुमान सेतु, बोट क्लब, लक्ष्मण मेला ग्राउंड, खाटु श्याम वाटिका, बैकुंठ धाम और गोमती बैराज से गोमती के जल, तलछट और जलीय पादपों के नमूने इकठ्ठे किए गए। वैज्ञानिकों का मानना है कि लखनऊ शहर के उद्योगों और नगरपालिका से निकलने वाला उपचारित व अनुपचारित अपशिष्ट गोमती में बहाए जाने से इसकी जल की गुणवत्ता बुरी तरह प्रभावित हो रही है। जल का पीएच 6.54 और 8.14 के बीच था। डालीगंज और हनुमान सेतु को छोड़कर सभी शोध साइटों पर जल क्षारीय पाया गया और साथ ही घुलित ऑक्सीजन भी 3.69 से 7.3 मिलीग्राम प्रति लीटर आंकी गई। ये दोनों तथ्य वैज्ञानिक दृष्टिकोण से उन जगहों पर धातुओं की जैव उपलब्धता को दर्शाते हैं। दस साइटों में से गोमती बैराज में सभी भारी धातुओं की सांद्रता अधिकतम पाई गई। मौजूदा परिणामों की तुलना पहले के अध्ययनों से की गई, तो यह पाया गया कि गोमती नदी के पानी में तांबा, कैडमियम और लैड की सांद्रता में वृद्धि हुई है। गोमती के तलछटों में भारी धातु के विश्लेषण दर्शाते हैं कि लगभग सभी साइटों पर भारी धातुओं की सांद्रता उच्चतम है। तलछट में मिली धातुओं की सांद्रता नदी के पानी में मिली धातुओं की तुलना में काफी अधिक है। तलछटी में मिली धातुओं की उच्च सांद्रता भविष्य में धातु-विषाक्तता के कारण नदी के तलीय जीवों के लिए भारी जोखिमभरा साबित हो सकती है। वैज्ञानिकों ने इन दसों साइटों पर नदी में मिलने वाले चार जलीय मैक्रोफॉइटों यानि पानी में उगने वाले बृहत् जलीय पादपों पिस्टिया स्ट्रेटिओट्स, आइकॉर्निया क्रैसीपीस, पॉलीगोनम कोसीनिअम और मार्सिलिया क्वाड्रिफोलिया में भारी धातुओं के जैवसंचयन अर्थात् इनके शरीर में धातुओं के जमने का भी मूल्यांकन किया। मैक्रोफाईट्स अपने शरीर के विभिन्न अंगों में विषाक्त धातुओं को जमा करने की क्षमता रखते है, जिससे उन्हें धातु प्रदूषण का एक प्रभावी जैव-सूचक माना जाता है। वैज्ञानिकों ने पाया कि पिस्टिया स्ट्रेटिओट्स व पॉलीगोनम कोसीनिअम में लैड और आइकॉर्निया क्रैसीपीस व मार्सिलिया क्वाड्रिफोलिया में तांबा सबसे अधिक मात्रा में जमा हुआ। जबकि शेष भारी धातुएं कैडमियम और आर्सेनिक का जैवसंचयन अपेक्षाकृत कम देखा गया। वास्तव में ये मैक्रोफाइट्स अन्य जलीय जीवन के लिए भोजन और आश्रय प्रदान करते हैं। भले ही अभी गोमती के पानी में विषाक्त भारी धातुओं की सांद्रता कम पाई गई हो, लेकिन मैक्रोफाइट्स में धातु-जैवसंचयन से इनके खाद्य श्रृंखला में प्रवेश करने के कारण उच्चतर पोषक स्तरों पर भारी धातुओं के हस्तांतरण की संभावना बढ़ जाती है, जो चिंताजनक है। वैज्ञानिकों ने भारी धातु प्रदूषण पर नियंत्रण बनाए रखने के लिए गोमती के जल और तलछट दोनों के दूषित स्तर पर नियमित रूप से निगरानी की आवश्यकता पर बल दिया है। इसके अलावा उनका कहना है कि गोमती के पानी का कृषि में सिंचाई के लिए उपयोग करते समय भी कड़ी देखभाल की जरुरत है। तलछट, जल और जलीय पादपों के बीच निरंतर अंतर्संबंधों पर आधारित धातु सांद्रता के एकीकृत मूल्यांकन से निकले ये आंकड़े गोमती के पारिस्थितिकी तंत्र में विषाक्त भारी धातुओं के व्यवहार को समझने और एक कुशल प्रदूषण नियंत्रण और जल संसाधन प्रबंधन कार्यक्रम तैयार करने के लिए महत्वपूर्ण साबित होंगे। अनुसंधानकर्ताओं की टीम में नेहा, धनंजय कुमार, प्रीति शुक्ला, संजीव कुमार, कुलदीप बौद्ध, जया तिवारी, नीतू द्विवेदी, एस. सी. बर्मन, डी. पी. सिंह और नरेंद्र कुमार शामिल थे। (इंडिया साइंस वायर)
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